Mahendra Singh Mewar के निधन से शोक की लहर फैल गई है 2024

Mahendra Singh Mewar ka Nidhan

newsbrain24 – पूर्व मेवाड़ राजघराने के महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन से पूरे संभाग में शोक की लहर फैल गई है। उनके निधन की खबर सुनकर लोग स्तब्ध हैं और विभिन्न स्थानों पर शोक संवेदनाएं व्यक्त की जा रही हैं। महेंद्र सिंह मेवाड़ का राजपरिवार और सामाजिक जीवन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिससे वे लोगों के बीच बेहद सम्मानित थे। उनके जाने से लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दुख प्रकट किया है !

राजसमंद : से दुखद समाचार है कि पूर्व मेवाड़ राजघराने के Mahendra singh mewar (महेंद्र सिंह मेवाड़) का निधन हो गया है। उनकी तबीयत खराब होने के बाद उन्हें मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया था, और पिछले कुछ समय से उनका इलाज चल रहा था। हालाँकि, उनके स्वास्थ्य में  कुछ सुधार नहीं हो पा रहा था और आज उन्होंने अस्पताल में अंतिम सांस ली।  Mahendra singh mewar (महेंद्र सिंह मेवाड़) नाथद्वारा के विधायक विश्वराज सिंह के पिता और राजसमंद की सांसद महिमा कुमारी के ससुर थे।

उनके निधन की खबर सुनकर पूरे संभाग में शोक की लहर फैल गई है। अस्पताल प्रशासन ने उनके निधन की पुष्टि की है, और इस दुखद खबर से क्षेत्र के लोगों में गहरा शोक व्याप्त है। Mahendra singh mewar (महेंद्र सिंह) मेवाड़ का सामाजिक और राजनीतिक जीवन में बड़ा योगदान रहा है, और उनके निधन से लोगों ने उनकी स्मृति को सम्मान देते हुए शोक संवेदनाएं व्यक्त की हैं

मेवाड़ राजघराने के महाराणा भगवत सिंह के दो पुत्र हैं— Mahendra singh mewar (महेंद्र सिंह मेवाड़) और Arvind singh mewar (अरविंद सिंह मेवाड़) । महेंद्र सिंह मेवाड़, महाराणा प्रताप के वंशज और वर्तमान नाथद्वारा विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ के दादा हैं। महेंद्र सिंह मेवाड़ का राजनीतिक जीवन भी सक्रिय रहा है; वे चित्तौड़गढ़ से सांसद रह चुके हैं। उदयपुर में पिछोला झील के किनारे बड़ी पाल के पास स्थित समोर बाग में उनका निवास था।

उनका जीवन मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास से गहराई से जुड़ा हुआ था, और उन्होंने अपने क्षेत्र व समाज के लिए विभिन्न योगदान दिए। उनके निधन से न केवल परिवार, बल्कि पूरे मेवाड़ अंचल में शोक व्याप्त है

फिल्म पद्मावत का खुलकर विरोध किया था –

Mahendra singh mewar (महेंद्र सिंह मेवाड़) ने फिल्म पद्मावत का खुलकर विरोध किया था, जिससे वे एक बार फिर से सुर्खियों में आ गए थे। उन्हें राजपूत समाज की परंपराओं और मर्यादाओं का प्रतीक माना जाता था, और पद्मावत में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करने के कारण उन्होंने इस पर कड़ा एतराज जताया था।

इस विरोध के दौरान एक विवाद और हुआ, जब राज्य सरकार ने पुलिस को उनके खिलाफ एक क्रिमिनल डोजियर तैयार करने का निर्देश दिया। हालांकि, यह मामला तब खुला जब एक कांस्टेबल ने गोपनीय पत्र लेकर सरकारी दफ्तर भेजने के बजाय महेंद्र सिंह मेवाड़ के सामने रख दिया। इस घटना ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया था, और अंततः उस कांस्टेबल को सस्पेंड कर दिया गया था!

पिता के निधन के बाद 1984 में बने थे राजघराने के मुखिया –

1984 में पिता महाराणा भगवत सिंह के निधन के बाद Mahendra singh mewar (महेंद्र सिंह मेवाड़) को मेवाड़ राजघराने का मुखिया बनाया गया था। अपनी विरासत को संजोने और गुजरे दौर के ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण का उन्होंने दायित्व संभाला। Mahendra singh mewar (महेंद्र सिंह मेवाड़) का मानना था कि सिसोदिया राजवंश की 76वीं पीढ़ी के सदस्य के रूप में यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखें।

उदयपुर के महाराणा भगवत सिंह के बड़े पुत्र होने के नाते Mahendra singh mewar (महेंद्र सिंह मेवाड़) को महाराणा की उपाधि दी गई, जो कि मेवाड़ के मुख्य राजघराने का पदवी-संविधानिक हिस्सा है। उनके नेतृत्व में मेवाड़ राजवंश ने सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पारंपरिक मूल्यों को कायम रखने का प्रयास किया।

 

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